जुमा के खुतबे के 7 मसाइल



  1.     हदीस पाक में है “ जिस ने जुमा के दिन लोगों की गर्दनें फलांगी उस ने जहन्नम की तरफ पुल बनाया ”  (तिरमिजी जिल्द 2 सफह 48 हदीस नंबर 513) उस के एक मानी ये हैं के उस पर चढ़ कर लोग जहन्नम में दाखिल होंगे( हाशिया ए बहारे शरीयत जिल्द 1 सफह 761,762 )
  2.     खतीब की तरफ मुंह कर के बैठना सुन्नते सहाबा है
  3.     बुजुरगाने दीन फरमाते हैं : दो ज़ानू बैठ कर खुतबा सुने, पहले खुतबे में हाथ बांधे, और दूसरे खुतबे में ज़ानु पर हाथ रखे इंशा अल्लाह 2 रिकअत का सवाब मिलेगा ( मिरअतुल मनाजीह जिल्द 2 सफह 338)
  4. आला हज़रत फरमाते हैं के खुतबे में हुजूर का नाम सुन कर दिल में दुरूद पढें, के ज़ुबान से ख़ामोशी फर्ज़ है „
  5.     दुर्रे मुख्तार में है “ खुतबे में खाना पीना, कलाम करना, अगर चे सुब्हान अल्लाह कहना, सलाम का जवाब देना, नेकी की बात बताना, हराम है „ ( दुर्रे मुख्तार )
  6.     आला हज़रत फरमाते “खुतबे की हालत में चलना हराम है, यहां तक उलामाए किराम फरमाते हैं के अगर ऐसे वक्त मस्जिद पहुंचा की खुतबा शुरू हो गया तो मस्जिद में जहां तक पहुंचा, वहीं रुक जाए, आगे न बढ़े, के आगे बढ़ना ये एक अमल होगा, और खुतबा की हालत में कोई अमल जाईज़ नहीं। (फतावा रज़वियह)
  7.     आला हज़रत फरमाते हैं : खुतबे में किसी तरफ गर्दन फेर कर देखना भी हराम है।

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