आबरू-ए-उम्मत हैं सय्यिदा के घर वाले
वक़्त की ज़रुरत हैं सय्यिदा के घर वाले
ख़त्म हो गई होती ज़लज़ले में ये दुनिया
इस ज़मीं पे रहमत हैं सय्यिदा के घर वाले
कह रहा है दुनिया से सर हुसैन-ए-आ'ज़म का
लाइक़-ए-इमामत हैं सय्यिदा के घर वाले
ज़ुल्म ने बहुत चाहा नस्ल ख़त्म हो जाए
आज भी सलामत हैं सय्यिदा के घर वाले
हम ने ख़ूब देखा है बारगाह-ए-ख़्वाजा में
मरकज़-ए-सख़ावत हैं सय्यिदा के घर वाले
दामन-ए-सहाबा है अब भी मेरे हाथों में
हाँ मेरी ज़मानत हैं सय्यिदा के घर वाले
भूक बारह सालों की कह रही है दुनिया से
जबल-ए-इस्तेक़ामत हैं सय्यिदा के घर वाले
ऐ यज़ीद के हामी ! मुँह कहाँ छुपाएगा
मालिकान-ए-जन्नत हैं सय्यिदा के घर वाले
जिस्म ज़िंदा रहता है ख़ून की हरारत से
ख़ून की हरारत हैं सय्यिदा के घर वाले
हम 'अली के दीवानें हौसला न हारेंगे
हौसलों की ताक़त हैं सय्यिदा के घर वाले
मेरे सीने में इक दिल, नूर ! मेरे उस दिल में
बर-सर-ए-हुकूमत हैं सय्यिदा के घर वाले