Mojiza Kitna Nirala Ye Hua Meraj Me

Mojiza Kitna Nirala Ye Hua Meraj Me


मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं
ला-मका पोहचे हबीबे किब्रिया मे'राज मैं

भीनी भीनी थी हवा और रँगे गुलशन था खिला
कोयलो और बुल बुल भी थे नगमा सरा मे'राज मैं
मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं....

प्यारे आक़ा के कदम पर हज़रते जिब्रील ने
अपने नूरानी लबो को रख दिया मे'राज मैं
मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं....

हर तरफ शादी रची है हर कोई है साद माँ
आज महबूबे खुदा दूल्हा बना मे'राज मैं
मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं....

जाने ईमाँ जाने इंसाँ के सलामी के लिए
आसमाह पर मुंतजिर थे अम्बिया मे'राज मैं
मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं....

हुरो गिलमा और फ़रिश्ते मरहबा कहने लगे
जिस गड़ी पोहचे फलक पर ! मुस्तफा मे'राज मैं
मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं....

पेश करके अपना कन्धा पा गए आला मकाम
गौसे आज़म पेशवा-ए-औलिया मे'राज मैं
मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं....

हम गुनाहगारो से कितना प्यार है सरकार को
आप ने हक़ मैं हमारे की दुआ मे'राज मैं
मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं....

जाते रब्बे और जाते पाके मुस्तफा के दरमियान
कोण जाने किस क़दर था फैसला मे'राज मैं
मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं....

रुक गए सिदरा पर जाके हज़रते रुहुल अमीन
सिदरा से आगे गया नूरे खुदा मे'राज मैं
मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं....

गर्म बिस्तर भी रहा ज़ंजीर भी हिलती रही
आना जाना मुस्तफा का यूह हुआ मे'राज मैं
मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं....

चाँद तारो को ऐ !सीम नाज़ था खुद पर बड़ा
आ गए वो भी नबी के जेरपा मे'राज मैं
मोजिज़ा कितना निराला यैह हुआ मे'राज मैं.... 

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