शह-ए-अम्बिया ! लो सलाम अब हमारा

शह-ए-अम्बिया ! लो सलाम अब हमारा

SALAM POETRY

In Praise of the Beloved Prophet

हबीब-ए-ख़ुदा ! लो सलाम अब हमारा
शह-ए-अम्बिया ! लो सलाम अब हमारा

ज़मीन ख़ुशबुओं में नहाने लगी है
लबों पर रसूलों के नग़्मा यही है
लो आया ज़मीं पर इमाम अब हमारा
शह-ए-अम्बिया ! लो सलाम अब हमारा
हबीब-ए-ख़ुदा ! लो सलाम अब हमारा
शह-ए-अम्बिया ! लो सलाम अब हमारा

करम कीजिए ताजदार-ए-मदीना
है दुश्वार आका, ग़ुलामों का जीना
ज़माना है दुश्मन, तमाम अब हमारा
शह-ए-अम्बिया ! लो सलाम अब हमारा
हबीब-ए-ख़ुदा ! लो सलाम अब हमारा
शह-ए-अम्बिया ! लो सलाम अब हमारा

मुसीबत हमारे सरों पे खड़ी है
करम कर दो, आक़ा ! करम की घड़ी है
ग़ुलामों ने रो रो के तुम को पुकारा
शह-ए-अम्बिया ! लो सलाम अब हमारा
हबीब-ए-ख़ुदा ! लो सलाम अब हमारा
शह-ए-अम्बिया ! लो सलाम अब हमारा

Naat
Hamd
Manqabat
Waqiyat
Salam
Nazm
Admin: Sajid Ali
Barkati Kashana

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