Gunaho Ki Aadat
गुनाहों की 'आदत छुड़ा, मेरे मौला !
मुझे नेक इंसाँ बना, मेरे मौला !
जो तुझ को, जो तेरे नबी को पसंद है
मुझे ऐसा बंदा बना, मेरे मौला !
मुझे नेक इंसाँ बना, मेरे मौला !
तू मस्जूद मेरा, मैं साजिद हूँ तेरा
तू मालिक, मैं बंदा तेरा, मेरे मौला !
मुझे नेक इंसाँ बना, मेरे मौला !
तू लेगा अगर 'अद्ल से काम अपने
मैं हूँ मुस्तहिक़ नार का, मेरे मौला !
मुझे नेक इंसाँ बना, मेरे मौला !
जो रहमत तेरी शामिल-ए-हाल हो तो
ठिकाना है जन्नत मेरा, मेरे मौला !
मुझे नेक इंसाँ बना, मेरे मौला !
तुझे तो ख़बर है मैं कितना बुरा हूँ
तू 'ऐबों को मेरे छुपा, मेरे मौला !
मुझे नेक इंसाँ बना, मेरे मौला !
मेरी ता-क़यामत जो नस्लें हों, या रब !
हों सब 'आशिक़-ए-मुस्तफ़ा, मेरे मौला !
मुझे नेक इंसाँ बना, मेरे मौला !
न मोहताज कर तू जहाँ में किसी का
मुझे मुफ़्लिसी से बचा, मेरे मौला !
मुझे नेक इंसाँ बना, मेरे मौला !
हैं का'बे पे नज़रें 'उबैद-ए-रज़ा की
हो मक़बूल हर इक दु'आ, मेरे मौला !
मुझे नेक इंसाँ बना, मेरे मौला !