Ulfat Rasool Ki
क्यूँकर न मेरे दिल में हो उल्फ़त रसूल की
जन्नत में ले के जाएगी चाहत रसूल की
क्यूँकर न मेरे दिल में हो उल्फ़त रसूल की
चलता हूँ मैं भी, क़ाफ़िले वालो ! रुको ज़रा
मिलने दो बस मुझे भी इजाज़त रसूल की
जन्नत में ले के जाएगी चाहत रसूल की
पूछें जो दीन-ओ-ईमाँ नकीरैन क़ब्र में
उस वक़्त मेरे लब पे हो मिदहत रसूल की
जन्नत में ले के जाएगी चाहत रसूल की
तड़पा के उन के क़दमों में मुझ को गिरा दे शौक़
जिस वक़्त हो लहद में ज़ियारत रसूल की
जन्नत में ले के जाएगी चाहत रसूल की
सरकार ने बुला के मदीना दिखा दिया
होगी मुझे नसीब शफ़ा'अत रसूल की
जन्नत में ले के जाएगी चाहत रसूल की
या रब ! दिखा दे आज की शब जल्वा-ए-हबीब
इक बार तो 'अता हो ज़ियारत रसूल की
जन्नत में ले के जाएगी चाहत रसूल की
तू है ग़ुलाम उन का, 'उबैद-ए-रज़ा ! तेरे
महशर में होगी साथ हिमायत रसूल की
जन्नत में ले के जाएगी चाहत रसूल की