Ya Rabbana Irham Lana
या रब्बना ! इर्ह़म-लना, या रब्बना ! इर्ह़म-लना
तेरे घर के फेरे लगाता रहूँ मैं
सदा शहर-ए-मक्का में आता रहूँ मैं
या रब्बना ! इर्ह़म-लना, या रब्बना ! इर्ह़म-लना
हरम में, मैं हाज़िर हुआ बन के मुजरिम
ये लब्बैक ना'रा लगाता रहूँ मैं
सदा शहर-ए-मक्का में आता रहूँ मैं
या रब्बना ! इर्ह़म-लना, या रब्बना ! इर्ह़म-लना
मैं लेता रहूँ बोसा-ए-संग-ए-अस्वद
यूँ दिल की सियाही मिटाता रहूँ मैं
सदा शहर-ए-मक्का में आता रहूँ मैं
या रब्बना ! इर्ह़म-लना, या रब्बना ! इर्ह़म-लना
इलाही ! मैं फिरता रहूँ गिर्द-ए-का'बा
यूँ क़िस्मत की गर्दिश मिटाता रहूँ मैं
सदा शहर-ए-मक्का में आता रहूँ मैं
या रब्बना ! इर्ह़म-लना, या रब्बना ! इर्ह़म-लना
लिपट कर गले लग के मैं मुल्तज़म से
गुनाहों के धब्बे मिटाता रहूँ मैं
सदा शहर-ए-मक्का में आता रहूँ मैं
या रब्बना ! इर्ह़म-लना, या रब्बना ! इर्ह़म-लना
बराहीम के नक़्श-ए-पा चूम कर मैं
निगाहों से दिल में बसाता रहूँ मैं
सदा शहर-ए-मक्का में आता रहूँ मैं
या रब्बना ! इर्ह़म-लना, या रब्बना ! इर्ह़म-लना
हतीम-ए-हरम में नमाज़ों को पढ़ कर
तेरे दर पे दुखड़े सुनाता रहूँ मैं
सदा शहर-ए-मक्का में आता रहूँ मैं
या रब्बना ! इर्ह़म-लना, या रब्बना ! इर्ह़म-लना
मैं पीता रहूँ हर घड़ी आब-ए-ज़मज़म
लगी अपने दिल की बुझाता रहूँ मैं
सदा शहर-ए-मक्का में आता रहूँ मैं
या रब्बना ! इर्ह़म-लना, या रब्बना ! इर्ह़म-लना
सफ़ा और मरवा के मा-बैन दौड़ूँ
स'ई कर के तुझ को मनाता रहूँ मैं
सदा शहर-ए-मक्का में आता रहूँ मैं
या रब्बना ! इर्ह़म-लना, या रब्बना ! इर्ह़म-लना
झुकी जिन के सज्दे को मेहराब-ए-का'बा
वहीं दिल अदब से झुकाता रहूँ मैं
सदा शहर-ए-मक्का में आता रहूँ मैं
या रब्बना ! इर्ह़म-लना, या रब्बना ! इर्ह़म-लना