हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

Ho Karam Sarkar

Naat Paak Mustafa

हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार
जान-ओ-दिल तुम पर फ़िदा, ऐ दो जहाँ के ताजदार !

मैं अकेला और मसाइल ज़िंदगी के बेशुमार
आप ही कुछ कीजिए ना, ऐ शह-ए-'आली-वक़ार !
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

याद आता है तवाफ़-ए-ख़ाना-ए-का'बा मुझे
और लिपटना मुल्तज़म से वालिहाना बार-बार
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

संग-ए-अस्वद चूम कर मिलता मुझे कैफ़-ओ-सुरूर
चैन पाता देख कर दिल मुस्तजाब-ओ-मुस्तजार
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

या ख़ुदा ! दिखला हतीम-ए-पाक-ओ-मीज़ाब-ओ-मक़ाम
और सफ़ा-मरवा मुझे बहर-ए-रसूल-ए-ज़ी-वक़ार
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

जा रहा है क़ाफ़िला तयबा नगर रोता हुआ
मैं रहा जाता हूँ तन्हा, ऐ हबीब-ए-किर्दगार !
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

जल्द फिर तुम लो बुला और सब्ज़-गुंबद दो दिखा
हाज़िरी की आरज़ू ने कर दिया फिर बे-क़रार
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

चूम कर ख़ाक-ए-मदीना झूमता फिरता था मैं
याद आते हैं मदीने के मुझे लैल-ओ-नहार
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

गुंबद-ए-ख़ज़रा के जल्वे और वो इफ़्तारियाँ
याद आती है बहुत रमज़ान-ए-तयबा की बहार
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

या रसूलल्लाह ! सुन लीजे मेरी फ़रियाद को
कौन है जो कि सुने तेरे सिवा मेरी पुकार
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

हाल पर मेरे करम की इक नज़र फ़रमाइए
दिल मेरा ग़मगीन है, ऐ ग़म-ज़दों के ग़म-गुसार !
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

क़ाफ़िले वालो ! सुनो, याद आए तो मेरा सलाम
'अर्ज़ करना रोते रोते हो सके तो बार-बार
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

ग़म-ज़दा यूँ ना हुआ होता 'उबैद-ए-क़ादरी
इस बरस भी देखता गर सब्ज़-गुंबद की बहार
हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बेशुमार

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Admin: Sajid Ali
Barkati Kashana

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