वुज़ू तोड़ने वाली चीजें ( हिस्सा 2)
- रुकु और सजदा वाली नमाज़ में बालिग़ ने क़हक़हा लगा दिया यानी इतनी आवाज़ से हंसा के आस पास वालों ने सुना तो वज़ू भी गया और नमाज़ भी गई, और अगर इतनी आवाज़ से हंसा के सिर्फ खुद सुना और किसी ने नहीं सुना तो नमाज़ गई मगर वज़ू बाकी है , और अगर सिर्फ मुस्कुराया तो मुस्कुराने ना नमाज़ जाएगी ना वज़ू | क्यूँ के मुस्कुराने में आवाज़ बिल्कुल नहीं होती, सिर्फ दांत जाहिर होते हैं |
- बालिग़ शख्स ने नमाज़े जनाज़ा में क़हक़हा लगा दिया तो नमाज़ टूट जाएगी लेकिन वज़ू बाकी है |
- आवाम में मशहूर है के घुटना या सत्र खुलने या अपना पराया सत्र देखने से वज़ू टूट जाता है, ये बिल्कुल गलत है| हाँ वज़ू के अदब के खिलाफ है नाफ़ से लेकर दोनों घुटनों समेत सब सत्र छुपा हुआ रहे बिना ज़रूरत सत्र खुला रखना मनअ, और दूसरों के सामने सत्र खोलना हराम है |
- मुंह से खून निकला अगर थूक पर गालिब है तो वज़ू टूट जाएगा वरना नहीं, और गालिब होने की पहचान ये है के अगर थूक का रंग लाल है तो खून गालिब समझ जाएगा| ये लाल थूक नापाक भी है , अगर ज़र्द ( पीला ) हो तो खून पर थूक गालिब माना जाएगा लिहाज़ा ना वज़ू टूटेगा ना ये पीला थूक नापाक है|
- आप वज़ू से थे , लेकिन अब शक आने लगा के पता नहीं वज़ू है या नहीं | ऐसी सूरत में आप बा वज़ू हैं क्यूँ के सिर्फ शक होने से वज़ू नहीं टूटता | यक़ीनन आप उस वक़्त तक बा वज़ू हैं जब तक वज़ू टूटने का ऐसा यकीन ना हो जाए के क़सम खा सकें
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