हुज़ूर क़ायदे मिल्लत का पैग़ाम अवाम ए अहले सुन्नत के नाम

 _🔞भगवा लव ट्रैप के मुताल्लिक़🔥_


*हुज़ूर क़ायदे मिल्लत का पैग़ाम अवाम ए अहले सुन्नत के नाम*

        

 ⚜️ बच्चियों का रुझान दीन की तरफ लाने के लिए और भगवा लव ट्रैप से बचाने के लिए हुज़ूर क़ायदे मिल्लत के बयान की गईं 13 तदबीरें जिसके ज़रिये बच्चियों को इस बड़े फ़ितने से बचाया जा सकता है!


*🔞 इन ख़राबियों को दूर करने की चंद तदबीरें हैं जिनको बारूहे कार लाकर एक पाकीज़ा मुआशरा (समाज) तैयार किया जा सकता है।*


*💡 नम्बर::- 1.* बचपन से ही बच्चों और बच्चियों को दुनियावी तालीम के साथ दीनी तालीम ज़रूर दी जाए, जिसकी सूरत यह है कि मोहल्ला और बस्ती में मौजूद मस्जिद ओ मकतब के असातिज़ा से मज़हबी तालीम ओ तरबीयत दिलवाई जाए।


*💎नम्बर::- 2.* माँ - बाप खुद भी नेक अमल करें और अपनी जिंदगी इस्लामी माहौल में गुज़ारें और बच्चों को भी इसी माहौल में परवान चढ़ाएं, क्योंकि बच्चे शऊरी और गैर-शऊरी तौर पर माँ-बाप की *बात से ज़्यादा उनके किरदार को लेते हैं।*


*🤳🏻 नम्बर::-* 3. माँ-बाप खुद भी गाहे-बगाहे बच्चों के ज़हनों फ़िक्र का जायजा लेते रहे, कि कहीं स्कूल के माहौल ने उनकी फ़िक्र को ख़राब तो नहीं कर दिया और मोबाइल के बेजा इस्तेमाल से बच्चों को दूर रखें।


*💖 नम्बर::-* 4. उनके अख़लाक ओ आदाब रहन सहन और हमजोलियों पर भी नज़र रखें, कि इंसान माहौल , की पैदावार है। जैसा माहौल पाता है, वैसा ही करता है।


*🚫 नम्बर::-* 5. माँ-बाप बच्चों पर हद दर्जा भरोसा ना करें, बल्कि खुद भी अक़्ल से काम ले, क्योंकि शैतान हर लम्हा बहकाने में लगा हुआ है। हदीस ए पाक में है: शैतान इंसान के जिस्म में ऐसे ही दौड़ता है, जैसे ख़ून रगों में दौड़ा करता है।


*💍 नम्बर::-* 6. शादियों को आसान बनाएं, क्योंकि हदीस ए पाक में है: बेहतरीन शादी वो है जिसमें कम से कम खर्च हो ।


*📝 नम्बर::-* 7. औलाद के बालिग़ होने पर उनकी शादियों में जल्दी की जाए, हदीसे पाक में है: तीन चीजों में देर ना करो, नमाज़ में, जनाज़े में और मुनासिब रिश्ता मिलने पर शादी करने में ।


*🌟 नम्बर::-* 8. भलाई का हुक्म देना और बुराई से रोकना इस उम्मत का ख़ास वस्फ़ है। लिहाजा माँ -बाप के साथ मिलकर मोहल्ला, पड़ोस, कबीले और बस्ती के बा- असर लोग कुफ्र के चंगुल में फँसी हुई बच्चियों को राहे रास्ते पर लाने की भरपूर कोशिश करें, कि किसी एक को राहे रास्ते पर लाना सुर्ख ऊंट ज़िब्ह करने से बेहतर है।


*🕌 नम्बर::-* 9. मसाजिद ओ मकातिब और मदारिस के असातिज़ा अपनी अपनी ज़िम्मेदारियाँ महज़ ड्यूटी समझकर ना करें, बल्कि खुलूस ओ लिल्लाहियत के साथ ख़िदमत-ए-दीन-ए-मतीन समझकर करें। क्योंकि आपको अल्लाह पाक ने दीन की ख़िदमत के लिए चुन लिया है, इसीलिए आपको इल्मे दीन की दौलत अता फरमाई है।


*📃 नम्बर::-* 10.आइम्मा, असातिज़ा, खुतबा और वाइज़ीन, हालाते ज़माना और वक़्त की ज़रूरत के मुताबिक़ बिना किसी ख़ौफ ओ ख़तर के अमली इक़दमात करें, और मुआशरे की ख़राबियों को दूर करने में भर पूर कोशां रहें, और उन उमूर को अंजाम देने में मरकज़-ए-अहले सुन्नत बरेली शरीफ़ की रहनुमाई लेते रहे।


*💰नम्बर::-* 11.मसाजिद हो मकातिब और मदारिस के अराकीन और ज़िम्मेदारान मज़हबी कामों में इमामों और दीनी पेशवाओं का भरपूर तावून करें।


*📜नम्बर::-* 12. मस्जिदों के ज़िम्मेदारान इमामों को बदमज़हब का निकाह और जनाज़ा पढ़ाने पर मजबूर ना करें, और ना ही रद्दे-बदमज़हबान करने से रोकें, कि दुश्मनाने दीन और गुस्तख़ाने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अदावत रखना हुब्बे नबवी और ईमान का हिस्सा है।


*⚜️ नम्बर::-* 13. मसाजिद ओ मकातिब और मदारिस के लिए ऐसे ही आइम्मा ओ असातिज़ा मुंतखब किए जायें जो मज़हब-ए-हक़ अहले सुन्नत मसलक-ए-आला हज़रत के सच्चे पक्के तर्जुमान और पासबान हों। नीज़ उन पाकीज़ा मुक़ामात के ज़िम्मेदारान भी मज़हब ओ मसलक का दर्द रखने वाले होना चाहिए, ताकि वह दीनी कामों में मफाद-परस्ती और बेजा मसलेहत पसंदी का शिकार ना हों।


*⚠️ नॉट इन दोनों तहरीर को पढ़कर अपने अपने मस्ज़िद के इमामों तक ज़रूर पहुँचायें! अल्लाह तआला अमल की तौफ़ीक़ दे।*

*(📚 हुज़ूर क़ायदे मिल्लत का पैग़ाम अवाम उन्नास के नाम*

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