- खून, पीप, या ज़र्द पानी, कहीं से निकल कर बहा और उस के बहने में ऐसी जगह पहुंचने की सलाहियत थी जिस जगह का वजू या गुसल में धोना फर्ज़ है, तो वूजू टूट गया
- खून या रतुबत (चिकनाई) अगर ज़ाहिर हुई और बही नही, जैसे के सुई की नोक या चाकू का किनारा लग जाने से खून उभर आए या चमकने लगे, या खिलाल किया या मिसवाक की या उंगली से दांत साफ किए, या दांत से कोई चीज़ मसलन सेब वगैरा काटा और उस पर खून ज़ाहिर हुआ, या नाक में उंगली डाली इस पर खून की सुर्खी आ गई, मगर वो खून बहने के काबिल न था, तो वजू नहीं टूटा
- ज़ख्म का खून बार बार साफ करते रहे के बहने की नौबत न आई तो गौर कीजिए के अगर इतना खून पोंछ लिया है के अगर न पोंछते तो बह जाता तो वजू टूट गया, अगर न बहता तो वजू नहीं टूटेगा
- गोश्त में इंजेक्शन लगाने में सिर्फ इसी सूरत में वजू टूटेगा जब के बहने की मिकदार में खून निकले। जब के नस का इंजेक्शन लगा कर पहले खून ऊपर की तरफ खींचते हैं जो के बहने की मिकदार में होता हैं, लिहाज़ा वजू टूट जाता है।
- आंख की बीमारी की वजह से जो आंसू बहा वो नापाक है, और वजू तोड़ देगा, अफसोस अक्सर लोग इस मसले से वाकिफ नहीं है और दुखती आंखों से बीमारी की वजह से बहने वाले आंसुओं को साधारण आंसुओं की तरह समझ कर आस्तीन और कमीज के दामन वगैरा से पोंछ अपने कपड़े नापाक कर डालते हैं।
- छाला था नोच दिया, और उस में भरा पानी बह गया तो वजू टूट गया, वरना नहीं।
- खरिश या फुड़ियों में अगर बहने वाली रतुबत (चिकनाई) ना हो सिर्फ चिपकन हो, और कपड़ा उस से बार बार छू कर चाहे कितना ही सन जाए (गीला हो जाए) पाक रहेगा।
- मुंह भर उल्टी, खाने पानी या सफरा (पीले रंग का कड़वा पानी) की तो वजू टूट तोड़ देती है। जो उल्टी तकल्लुफ के बिगैर रोकी ना जा सके, उसे मुंह भर उल्टी कहते हैं। मुंह भर उल्टी, पेशाब की तरह न पाक होती है उस के छींटों से अपने कपड़े और बदन को बचाना ज़रूरी है।
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